68th day :: Modi or Tuglak

मीडिया में आजकल देश के प्रधानमंत्री मोदी जी छाए हुए हैं। पर क्या मोदी जी इतने चमत्कारिक हैं , जितना कि प्रचारित किया जा रहा है। लेकिन हक़ीक़त की जमीन पर मोदी क्या हैं ?
मेरे हिसाब से मोदी वर्तमान के तुगलक हैं  जो बहुमत की सत्ता के मद में चूर होकर , अपने विरोधियों को तो छोड़िये अपने सहयोगियों और अन्य एक्सपर्ट्स की राय लिए बिना फैसले पर फैसले लिए जा रहे हैं। ऐसे तानाशाही शासन को जनता कब तक बर्दाश्त करेगी।
मीडिया हर गलत फैसले की तुष्टिकरण के लिए कुछ खरीदे हुए लोगों के मुख से मोदी जी के पक्ष में कुछ बाते कहलवा दे रही है और देश की जनता टीवी के सामने बैठकर 'All is Well' के सपनों में जी रही है।
अब मोदी जी के तुगलकी फरमानों पर एक नज़र डालते हैं :-
मोदी जी ने सत्ता में आते ही 100 दिनों के अंदर काला धन देश में वापस लाने का सपना दिखाया था। बहुत शोर - शराबे के बाद आज का सच ये है कि कालेधन का मुद्दा दबाने के एवज में मीडिया और पॉलिटिक्स से जुड़े कई लोग 'slumdog millionair' की ही तरह slumdog से millionair बन गए और जनता आस लगाए बैठी रही। जनता यही सोचती रही कि मोदी जी के घर देर है अंधेर नहीं।
लेकि अंधेर भी तब हो गयी जब एक सुबह खबर मिली कि 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए गए। इसके बाद आम जनता को सैकड़ों दिन लाइन में खड़ा कराने के बाद भी 'All is Well'  की थपकी के रूप में सांत्वना दी जाती रही।
फिर आया एक और तुगलकी फरमान देश में 'डिजिटल क्रांति' लाने का और 'cashless economy' का। 
demonetisation और पैसे निकालने की लिमिट के चलते देश का आम आदमी पहले से ही कैशलेस हो चूका था फिर ये अतिरिक्त प्रयास क्यों ? रही बात डिजिटल क्रांति की तो मोदी जी को ये कॉमन सी बात अपने दिमाग में डाल लेनी चाहिए थी कि जिस देश की आधी आबादी निरक्षर हो , वहाँ जबरदस्ती डिजिटल क्रांति करवाने से क्या फायदा होगा। ऐसे लोग मोबाइल और कंप्यूटर के तामझाम को कैसे समझेंगे। और फिर भी अगर ये डिजिटल क्रांति हो भी गयी तो काम पढ़े - लिखे लोगों के साथ धोखाधड़ी के मामले बेतहाशा बढ़ जायेंगे। 
इसलिए मोदी जी को पहले सम्पूर्ण साक्षरता अभियान चलाना चाहिए था।  उसके बाद ही डिजिटल क्रांति सही मायनों में सफल हो सकती है।
यहाँ मैं ये बताना जरूरी समझता हूँ कि मीडिया के ताजा विश्लेषण के अनुसार demonetisation और ऐसे ही अन्य तुगलकी फरमानो की वजह से लोगों को परेशानियाँ तो उठानी ही पड़ी ,साथ ही देश को आर्थिक स्तर पे भी घाटा सहना पड़ा। 
मतलब कि मोदी जी के फैसलों से फायदा नाममात्र का हुआ है और बेशुमार नुकसान ,
इसलिए यही है तुगलकी फरमान। .!!

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