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33rd Day :: Naxalvaad from my point of view

नक्सलवाद या माओवाद वर्तमान में विकराल रूप लेता जा रहा है। भले ही इसका बीज चीन से आयातित हो मगर इसमें कोई शक नहीं कि ये विषबेल हमारे यहाँ फल-फूल सकी तो केवल इसलिए क्योंकि इसे यहाँ अनुकूल माहौल मिला। इस समस्या को हल करने के लिए सबसे पहले हमें इसके कारण को समझने का प्रयास करना चाहिए। सदियों पहले जब जातिवाद ने जन्म नहीं लिया था ,  उस समय समाज के एक वर्ग ने अपने राज्य की रक्षा के लिए अपने बाहुबल को बढ़ाया (e.g. क्षत्रिय), दूसरे ने शासन करने के चलते या व्यापार में अपनी मेहनत के चलते या खर्च से ज्यादा बचत करने के चलते (e.g. वैश्य) धन अर्जित किया तो तीसरे ने शिक्षा के क्षेत्र में मेहनत करके विद्वत्ता अर्जित की (e.g. पण्डित)। इन तीनों वर्गों ने अपने द्वारा अर्जित गुणों को समाज-सेवा में लगाया जिससे समाज में इन्हें सम्मान प्राप्त हुआ। इन तीनों गुणों को अर्जित न कर पाने या अपने गुणों को समाज-सेवा में न लगा पाने वाला वर्ग पिछड गया और उसे सम्मान कम मिला या नहीं मिला (e.g. दलित)। जिन वर्गों ने इन गुणों को अर्जित किया उनके गुण वन्शानुगत रूप से transfer होते गए और उत्तरोत्तर उन्हें सम्मान मिलता गया